
MP board Class 9th social science question bank solution 2022:- कक्षा नवी सामाजिक विज्ञान प्रश्न बैंक का संपूर्ण हल या 9th social science question bank full solution अगर आप गूगल पर ढूंढ रहे हैं तो छात्रों आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं आपको इस पोस्ट में लोक शिक्षण संचालनालय जारी की गई क्लास नाइथ सामाजिक विज्ञान प्रश्न बैंक के एक-एक प्रश्न का उत्तर या solution आपको इस पोस्ट में मिलने वाला है और साथ में आपको यह भी बताएंगे कि आप कि क्लास नाइंथ सामाजिक विज्ञान प्रश्न बैंक solution PDF आपको कैसे डाउनलोड करना है

कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान प्रश्न बैंक में से वार्षिक पेपर में कितने प्रश्न पूछे जा सकते हैं इसको लेकर सभी छात्र जरूर सोच रहे होंगे और सभी छात्र प्रश्न बैंक में से तैयारी भी कर रहे होंगे लेकिन मैं आपको बता देता हूं अगर आप अच्छे नंबर लेकर आना चाहते हैं तो क्लास नाइंथ सामाजिक विज्ञान वार्षिक पेपर के कम किए गए पाठ्यक्रम को छोड़कर पूरे Syllabus की तैयारी करें और जो सामाजिक विज्ञान प्रश्न बैंक लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी की गई है उस में दिए गए सभी प्रश्नों को important question समझ कर विशेष ध्यान दें और तैयारी अपनी पूरी रखें
Note:- सिर्फ प्रश्न बैंक से ही अपनी तैयारी ना करें पूरे सिलेबस पर ध्यान दें क्योंकि क्लास 10th के कुछ पेपरों में प्रश्न बैंक से बहुत ही कम प्रश्न पूछे गए हैं इसलिए प्रश्न बैंक में दिए गए क्वेश्चन ओं की तैयारी अवश्य करें लेकिन उन पर निर्भर ना रहें पूरे सिलेबस पर विशेष ध्यान दें।
कक्षा 9 समाजिक विज्ञान प्रश्न बैंक संपूर्ण हल 2022 MP board – 9th Social Science question bank solution
प्रश्न 1. भारतीय मरुस्थल को समझाइए।
उत्तर – भारतीय मरुस्थल-अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार का मरुस्थल स्थित है। यह बालू के टिब्बों से ढँका एक तरंगित मैदान है। इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष 150 मिमी. से भी कम वर्षा होती है। इस शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र में वनस्पति बहुत कम है। वर्षा ऋतु में ही कुछ सरिताएँ दिखती हैं और उसके बाद में बालू में ही विलीन हो जाती हैं। पर्याप्त जल नहीं मिलने से वे समुद्र तक नहीं पहुँच पाती हैं। केवल लूनी ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है।
प्रश्न 2. भारतीय मरुस्थल के निर्माण के मुख्य कारणों को लिखिए।
उत्तर – किसी भी उष्ण कटिबंधीय मरुस्थल की भाँति भारतीय थार का मरुस्थल का विकास भी वर्षा में कमी के कारण हुआ है। है ? वर्षा के अभाव में प्राकृतिक वनस्पतियों का विकास नहीं हो पाता है और धरातल के ऊपरी परत हवा, ताप, दाब या अन्य कारकों द्वारा इसका विखंडन शुरू होता है और धीरे-धीरे यही अनाक्षादन सम्पूर्ण बालू के ढेर में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 4 प्रवाल से आप क्या समझते हैं? प्रवाल के प्रकारों को लिखिए।
उत्तर प्रवाल-प्रवाल (पॉलिप्स) कम समय तक जीवित रहने वाला सूक्ष्म प्राणी है जो कि समूह में रहते हैं। इनका विकास छिछले तथा गर्म जल में होता है। इनमें कैल्शियम कार्बोनेट का स्राव होता है। प्रवाल स्राव एवं प्रवाल अस्थियाँ टीले के रूप में निक्षेपित होती हैं।
प्रकार– (i) प्रवाल रोधिका, (ii) तटीय प्रवाल भित्ति (ii) प्रवाल वलय द्वीप
प्रवाल वलय द्वीप गोलाकार या हॉर्स शू आकार वाले रोधिका होते हैं। ऑस्ट्रेलिया का ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ प्रवाल रोधिका का अच्छा उदाहरण है।
प्रश्न 5. तटीय मैदान को कितने भागों में बाँटा गया है? विस्तारपूर्वक समझाइए ।
उत्तर – तटीय मैदान–प्रायद्वीपोय पठार के किनारों पर संकीर्ण तटीय पट्टियों का विस्तार है। यह पश्चिम में अरब सागर से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत है। पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित एक संकीर्ण मैदान है। इस मैदान के तीन भाग हैं। तट के उत्तरी भाग को कोंकण (मुंबई तथा गोवा), मध्य भाग को कन्नड़ मैदान एवं दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहा जाता है। बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है। उत्तरी भाग में इसे ‘उत्तरी सरकार’ कहा जाता है जबकि दक्षिणी भाग ‘कोरोमंडल तट’ के नाम से जाना जाता है। बड़ी नदियाँ, जैसे- महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी इस तट पर विशाल डेल्टा का निर्माण करती हैं। चिल्का झील, पूर्वी तट पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण भू-लक्षण है।
प्रश्न 9. बांगर एवं खादर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- बांगर- उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने की जलोढ़ का बना है। ये नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं। इस भाग को ‘बांगर’ के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र की मृदा में चूनेदार निक्षेप पाए जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में कंकड़ कहा जाता है।
खादर-बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेपों को ‘खादर’ कहा जाता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुननिर्माण होता है, इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।
प्रश्न 10. दक्कन के पठार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-दक्कन का पठार जिसे विशाल प्रायद्वीपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का विशालतम पठार है। दक्षिण भारत का मुख्य भू-भाग इसी पठार पर स्थित है। यह पठार त्रिभुजाकार है। इसकी उत्तर की सीमा सतपुड़ा और विन्ध्यांचल पर्वत श्रृंखला द्वारा और पूर्व तथा पश्चिम की सीमा क्रमश: पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट द्वारा निर्धारित होती है। यह पठार भारत के 8 राज्यों में फैला हुआ है।
दक्कन का पठार सतपुड़ा, महादेव तथा मैकाल शृंखला से लेकर नीलगिरी पर्वत के बीच अवस्थित है। इसकी औसत ऊँचाई 300 से 900 मी. के बीच है। इसे पुनः तीन पठारों में विभाजित किया गया है—(i) महाराष्ट्र का पठार, (ii) आन्ध्रप्रदेश का पठार तथा (iii) कर्नाटक पठार। दक्कन का पठार कठोर आग्नेय चट्टानों से बना है।
प्रश्न 2. पश्चिम बंगाल का शोक किस नदी को कहा जाता है और क्यों ?
उत्तर – पश्चिम बंगाल का शोक दामोदर नदी को कहा जाता है। दामोदर पश्चिम बंगाल तथा झारखंड में बहने वाली एक नदी है। दामोदर नदी झारखंड के छोटा नागपुर क्षेत्र से निकलकर पश्चिमी बंगाल में पहुँचती है। हुगली नदी के समुद्र में गिरने के पूर्व यह उससे मिलती है। इसकी कुल लंबाई 368 मील है। इस नदी के जल से एक महत्वाकांक्षी पनबिजली परियोजना दामोदर घाटी परियोजना चलाई जाती है। जिसका नियंत्रण डी. बी. सी. करती है।
पहले दामोदर अपनी बाढ़ों के लिए कुख्यात । नदी में एकाएक बाढ़ आ जाने के कारण तटीय इलाकों में भारी जन-धन की हानि होने का संकट बना रहता था। यही कारण है कि इस नदी को पहले बंगाल का शोक कहा जाता था।
प्रश्न 11. नदी प्रदूषण को रोकने के उपाय लिखिए।
उत्तर – नदी प्रदूषण रोकने के उपाय -(i) नदियों को छिछली (उथली) होने से बचाएँ।
(ii) नदियों के किनारों पर सघन वृक्षारोपण किया जाए जिससे किनारों पर कटाव न हो।
(iii) नदियों का पानी गंदा होने से बचाएँ। मसलन पशुओं को नदी के पानी में जाने से रोकें। गाँव व शहरों का घरेलू अनुपाचारित पानी नदी में नहीं मिलने दें।
(iv) उद्योगों का अनुपचारित पानी नदी के पानी में नहीं मिलने दें।
प्रश्न 12. सिंधु नदी तंत्र को समझाइए।
उत्तर -सिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में है। पश्चिम की ओर बढ़ती हुई यह नदी भारत में लद्दाख से प्रवेश करती है। इस भाग में यह एक बहुत ही सुन्दर गार्ज का निर्माण करती है। इस क्षेत्र में बहुत सी सहायक नदियाँ जैसे-जास्कर, नूबरा, श्योक तथा हुंजा इस नदी में मिलती हैं। सिंधु नदी बलूचिस्तान तथा गिलगित से बहते हुए अटक से पर्वतीय क्षेत्र से बाहर निकलती है। सतलुज, ब्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम आपस में मिलकर पाकिस्तान में मिठानकोट के पास सिंधु नदी में मिल जाती हैं। इसके बाद यह नदी दक्षिण की तरफ बहती है तथा अंत में कराची से पूर्व की ओर अरब सागर में मिल जाती है। सिंधु द्रोणी का एक-तिहाई से कुछ अधिक भाग भारत के जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमालय तथा पंजाब में तथा शेष भाग पाकिस्तान में स्थित है। 2,900 किमी. लम्बी सिंधु नदी विश्व की लम्बी नदियों में से एक है।
प्रश्न 5. ‘कालबैसाखी’ से क्या तात्पर्य है? यह स्थिति क्यों निर्मित होती है?
उत्तर- उत्तरी भारत में मई महीने के दौरान सामान्यत: धूल भरी आँधियाँ आती हैं। यह आँधियाँ अस्थायी रूप से आराम पहुँचाती हैं क्योंकि ये तापमान को कम कर देती हैं तथा अपने साथ ठण्डे समीर एवं हल्की वर्षा लाती हैं। इस मौसम में कभी कभी तीव्र हवाओं के साथ गरज वाली मूसलाधार वर्षा भी होती है। इसके साथ प्रायः हिम वृष्टि भी होती है। वैशाख के महीने में होने के कारण पश्चिम बंगाल में इसे ‘काल वैशाखी’ कहा जाता है।
प्रश्न 6. मानसून की वापसी शब्द से क्या तात्पर्य है? समझाइए।
उत्तर- मानसून की वापसी से आशय परिवर्तनीय मौसम से है। अक्टूबर-नवम्बर के दौरान दक्षिण की तरफ सूर्य के आभासी गति के कारण मानसून गर्त या निम्न दाब वाला गर्त, उत्तरी मैदानों के ऊपर शिथिल हो जाता है। धीरे-धीरे उच्च दाब प्रणाली इसका स्थान ले लेती है। दक्षिण पश्चिम मानसून शिथिल हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे पीछे की ओर हटने लगते हैं। अक्टूबर के प्रारम्भ में मानसून पवनें उत्तर के मैदान से हट जाती हैं।
प्रश्न 7. ‘वर्षा में विराम’ से आप क्या समझते हैं? समझाइए।
उत्तर – मानसूनी वर्षा में आर्द्र एवं शुष्क दोनों तरह के अंतराल होते हैं। दूसरे शब्दों में मानसूनी वर्षा एक समय में कुछ दिनों तक ही होती है। इनमें वर्षा रहित अंतराल भी होते हैं, जिन्हें ‘वर्षा में विराम’ कहा जाता है। मानसून में आने वाले ये विराम मानसूनी गर्त की गति से सम्बन्धित होते हैं। विभिन्न कारणों से गर्त एवं इसका अक्ष उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकता रहता है, जिसके कारण वर्षा का स्थानिक वितरण सुनिश्चित होता है। जब मानसून के गर्त का अक्ष मैदान के ऊपर होता है तब इन भागों में वर्षा अच्छी होती है। दूसरी ओर जब गर्त हिमालय के समीप चला जाता है तब लम्बे समय तक शुष्क अवस्था रहती है तथा हिमालय की नदियों के पर्वतीय जलग्रहण क्षेत्रों में विस्तृत वर्षा होती है।
प्रश्न 2. वनों का महत्त्व लिखिए।
उत्तर–वन नवीकरण योग्य संसाधन हैं और वातावरण की गुणवत्ता बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। ये स्थानीय जलवायु, मृदा अपरदन तथा नदियों की धारा नियंत्रित करते हैं। ये बहुत सारे उद्योगों के आधार हैं तथा कई समुदायों को जीविका प्रदान करते हैं। ये मनोरम प्राकृतिक दृश्यों के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह पवन तथा तापमान को नियंत्रित करते हैं। इनसे मृदा त को जीवाश्म और वन्य प्राणियों को आश्रय मिलता है।
प्रश्न 4. झूम खेती पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – घुमंतु कृषि के लिए जंगल के कुछ भागों को बारी-बारी से काटा और जलाया जाता है। मानसून की पहली बारिश के बाद इस राख में बीज बो दिए जाते हैं और अक्टूबर-नवम्बर में फसल काटी जाती है। इन खेतों पर एक-दो साल खेती करने के बाद इन्हें 12 से 18 साल तक के लिए परती छोड़ दिया जाता है, जिससे वहाँ फिर से जंगल पनप जाए। इन भूखंडों में मिश्रित फसल उगाई जाती है। जैसे—मध्य भारत और अफ्रीका में ज्वार-बाजरा, ब्राजील में कसावा और लेटिन-अमेरिका के अन्य भागों में मक्का व फलियाँ।
प्रश्न 5. वैज्ञानिक वानिकी क्या है?
उत्तर – इम्पीरियल फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना 1906 में देहरादून में हुई। यहाँ जिस पद्धति की शिक्षा दी जाती है, उसे वैज्ञानिक वानिकी कहा गया।
वैज्ञानिक वानिकी के नाम पर विविध प्रजाति वाले प्राकृतिक वनों को काट डाला गया। इनकी जगह सीधी पंक्ति में एक ही किस्म के पेड़ लगा दिए गए। इसे बागान कहा जाता है। वन विभाग के अधिकारियों ने जंगलों का सर्वेक्षण किया। विभिन्न किस्म के पेड़ों वाले क्षेत्र की नाप-जोख की और वन प्रबन्धन के लिए योजनाएँ बनाईं। उन्होंने यह भी तय किया कि बागान का कितना क्षेत्र प्रतिवर्ष काटा जाएगा। कटाई के बाद खाली जमीन पर पुन: पेड़ लगाए जाने थे ताकि कुछ ही वर्षों में यह क्षेत्र पुन: कटाई के लिए तैयार हो जाए।
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