मीरा बाई का जीवन परिचय – रचनायें, भाव पक्ष – कला पक्ष, साहित्य में स्थान
Meera bai ka jeevan parichay – कवियों का जीवन परिचय board exam में हिन्दी विषय के प्रत्येक एग्जाम में पूछा जाता है चाहे वह 10वी की परीक्षा हो या फिर 11वी,12वी कक्षा की परीक्षा हो ऐसे में सभी स्टूडेंट के मन में कवि परिचय को कैसे सरल शब्दों में याद रखा जाय यही सबाल उठता है क्योंकि कवि परिचय हिन्दी के पेपर में 5 अंक दिलवाता है। तो दोस्तों आज हम आपको हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवियत्री मीराबाई का जीवन परिचय सरल शब्दों में लिखना बताएंगे। जो आपके लिये याद करने में बहुत आसान है कवि की पहचान उसकी कविता से होती है इसलिए कवि परिचय में कवि के जन्म मरण का संक्षेप में वर्णन करते हुए उसकी कवित्त रचनाओं का भावपक्ष और कलापक्ष का वर्णन किया जाता है तथा उसकी रचनाओं तथा उनकी सुप्रसिद्धि के आधार पर उनका साहित्य में स्थान लिखा जाता है । तो चलिए देखते हैं कि परीक्षा में किस प्रकार का प्रश्न आता है।
मीराबाई का जीवन परिचय निम्नलिखित बिंदुओं के अधार पर कीजिए-
1.जीवन परिचय 2. दो रचनाये 3. भाव पक्ष – कला पक्ष
अथवा
मीराबाई का साहित्यिक परिचय निम्नलिखित बिंदुओं के अधार पर कीजिए-
1.दो रचनाये 2. भाव पक्ष – कला पक्ष 3. साहित्य में स्थान
मीराबाई
2. मीराबाई की रचनाएं-
मीराबाई की विरह वेदन को व्यक्त करने वाली उनकी निम्नलिखित अनूठी रचनाएँ हैं
गीतगोविन्द
रागगोंविद
रागसोरठा
राग विहाग
गरवा गीत
3 .भावपक्ष-
मीराबाई सगुण भक्तिधारा की कृष्णभक्ति साखा की प्रसिद्ध कवियत्री हैं।मीराबाई द्वारा रचित पदों में उनके ह्रदय की वेदनाछिपी है ।उनके श्रीकृष्ण के प्रति अपार प्रेम की आकुलता और भक्ति भाव का अनूठा संगम उनकी रचनाओं में मिलता है। मीराबाई ने अपने मन के भावों तथा वेदना को अपने पदों में सरल सहज रूप में व्यक्त किया है।इनकी रचनाओं में माधुरी तथा दाम्पत्य भाव भी दिखायी देता है।इनके बहुत से पदों में रहस्यवाद के दर्शन होते हैं।
4.कलापक्ष –
मिरा की भाषा रसजस्थानी ब्रज भाषा है उनकी कुछ पदों में भोजपुरी भाषा भी देखने को मिलती है यदि मीराबाई की लेखन शैली की बात की जाए तो उन्होंने अपने सभी पदों में मुक्तक शैली का प्रयोग किया है उनके पदों में गेयता की प्रधानता है। मीराबाई ने अपनी रचनाओं में उपमा रूपक उत्प्रेक्षा अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग किया है।
5. साहित्य में स्थान-
मीराबाई ने अपने हृदय में व्याप्त वेदना को बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है भक्ति काल की स्वर्ण युग में मीरा के पद आज भी विशेष स्थान रखते हैं हिंदी साहित्य में प्रेम की पुजारन मीराबाई सदैव चिरस्मरणीय रहेंगी।
तो दोस्तों हमने मीराबाई का जीवन परिचय बढ़े ही सरल शब्दों में लिखना बताया है यदि आपको यह कवि परिचय हेल्पफुल लगा हो तो इसे अपने दोस्तों को शेयर करें। इसे पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद…….. कमेंट करके आप अपनी राय अवश्य दें।
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